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Shiv Aarti का गान विशेष रूप से महा शिवरात्रि जैसे विशेष अवसरों पर किया जाता है, लेकिन इसे किसी भी दिन भगवान शिव की पूजा के दौरान गाया जा सकता है।

On: January 26, 2025 10:36 AM
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हिंदू धर्म में भगवान शिव को त्रिदेवों में एक प्रमुख स्थान प्राप्त है। वे संहारक, निर्माता और पालनकर्ता के रूप में जाने जाते हैं। भगवान शिव को “महादेव” के नाम से भी पूजा जाता है, जो सभी देवताओं के राजा हैं। उनकी उपासना से जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मकता का आगमन होता है। शिव की आराधना में विशेष महत्व रखने वाली एक प्रसिद्ध भक्ति गीत है शिव आरती, जिसे भक्ति भाव से गाकर भगवान शिव की महिमा का गान किया जाता है।

इस ब्लॉग में हम शिव आरती के महत्व, उसके शब्दों और इसके आध्यात्मिक लाभों पर चर्चा करेंगे।


Shiv Aarti का महत्व

भगवान शिव की आरती का गायन न केवल उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का एक तरीका है, बल्कि यह हमें उनके अद्भुत गुणों से भी अवगत कराता है। भगवान शिव का व्यक्तित्व बहुत ही गूढ़ और रहस्यमय है। वे शांत, सरल और दयालु होने के साथ-साथ महाकाल, संहारक और विनाशक भी हैं। वे मृत्यु और जीवन के बीच के अंतर को समझाने वाले हैं और हमें जीवन के उद्देश्य को पहचानने की प्रेरणा देते हैं।

शिव आरती का महत्व इस बात में है कि यह हमें भगवान शिव के महत्व को समझाने, उनके साथ जुड़ने और अपने जीवन को शुद्ध करने का एक माध्यम है। यह आरती हमें भगवान शिव की दया और करुणा का एहसास कराती है, साथ ही उनके आदर्शों का पालन करने की प्रेरणा देती है।


शिव आरती के बोल

शिव आरती का गान विशेष रूप से महा शिवरात्रि जैसे विशेष अवसरों पर किया जाता है, लेकिन इसे किसी भी दिन भगवान शिव की पूजा के दौरान गाया जा सकता है। यह आरती भगवान शिव के शक्तिशाली और सौम्य रूपों की स्तुति करती है। यहाँ एक प्रसिद्ध शिव आरती के बोल दिए गए हैं:

शिव आरती

जय शिव ओंकारा, हर हर महादेव।
जय शिव ओंकारा, हर हर महादेव।

शिव के चरणों में बसा आनंद,
करुणा के पयोधि समांध।
सप्त ऋषि के कुपोषित बीज,
शिव ही संजीवनी सुखद राजी।

जय शिव ओंकारा, हर हर महादेव।
जय शिव ओंकारा, हर हर महादेव।

कैलासपति, भवानी के संगी,
गणेश, कार्तिक के मंगलमयी।
रुद्र के रूप, महाकाल की महिमा,
नमामीश शिव को हम, सच्चे भक्त समर्पण।

जय शिव ओंकारा, हर हर महादेव।
जय शिव ओंकारा, हर हर महादेव।

Shiv Aarti के आध्यात्मिक लाभ

  1. मन की शांति: शिव आरती के माध्यम से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे मन में शांति और संतुलन आता है। यह मानसिक तनाव को दूर करने और आंतरिक शांति की प्राप्ति का एक प्रभावी तरीका है।
  2. नकारात्मकता का नाश: भगवान शिव का रूप शुद्धता, ज्ञान और शक्ति का प्रतीक है। जब हम शिव आरती गाते हैं, तो हमारी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और हम सकारात्मकता की ओर अग्रसर होते हैं।
  3. समस्या का समाधान: भगवान शिव का नाम और उनका गुणगान करते हुए हम अपने जीवन की समस्याओं से मुक्त होते हैं। उनका आशीर्वाद हमें कठिन समय में मदद करता है और जीवन को सुखमय बनाता है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति: शिव की आराधना से हम आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में अग्रसर होते हैं। उनकी भक्ति हमें सच्चे आत्मज्ञान और मोक्ष की ओर मार्गदर्शन करती है।
  5. आध्यात्मिक शुद्धता: शिव की आरती गाने से हमारे भीतर की आत्मिक शुद्धता बढ़ती है और हम जीवन के सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित होते हैं।

Shiv Aarti कब और कैसे करें

शिव आरती विशेष रूप से महा शिवरात्रि, सोमवार, और रात्रि पूजा के समय की जाती है, लेकिन इसे प्रतिदिन पूजा के दौरान भी गाया जा सकता है।

आरती करने की विधि:

  1. दीपक जलाएं: सबसे पहले, एक दीपक (घी या तेल का) जलाकर भगवान शिव के सामने रखें।
  2. प्रसाद अर्पित करें: भगवान शिव को चढ़ाने के लिए फूल, धूप, और जल अर्पित करें।
  3. आरती गाएं: भगवान शिव की आरती को समर्पण भाव से गाएं।
  4. दीपक घुमाएं: दीपक को भगवान शिव के सामने घुमाते हुए आरती गाएं।
  5. आशीर्वाद प्राप्त करें: आरती के बाद, भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करें और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाने का संकल्प लें।

शिव आरती केवल एक गीत नहीं है, बल्कि यह एक दिव्य साधना का रूप है, जो हमें भगवान शिव के असीम प्रेम और कृपा का अनुभव कराता है। उनके गुणों का गान करना न केवल हमें मानसिक शांति और शुद्धता प्रदान करता है, बल्कि यह हमारे जीवन में समृद्धि, सफलता और संतुलन भी लाता है।

भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से शिव आरती का पाठ करें और अपने जीवन में शिव की दया, शक्ति और शांति का अनुभव करें।

ॐ नमः शिवाय!

HimTak

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